दूल्हे की चढ़त
मेरा दूल्हा सजा है कैसा, किसी नगरी का राजा जैसा,
बिन दूल्हे के घोड़ी भी सूनी, सुन सुन बाजा नफीरी,
भर भर नाचे चौकड़ी दूनी, देखो सुंदर झलकता सेहरा,
हल्दी के उबटन से मलकर, धोकर आया है अपना चेहरा,
पीछे राजा की फौज निराली, नर-नारी बने हैं बाराती,
गाते नाचते ही चढ़त कर ली, पीछे राजा की फौज निराली,
मेरा दूल्हा सजा है, जैसा किसी नगरी का राजा जैसा ll