दूर होकर भी तुम दिल के पास हो!
यह मुश्किल दौर चल रहा है। इस कोरोना में बहुत लोगों ने अपनों को खोया है जिसने अपने को खोया यह दर्द वही महसूस कर सकता है।
पर जो दिल के बहुत करीब होता है वह दूर होकर पास ही रहता है।
ऐसा ही कुछ निखिल के जीवन में इस कोरोना समय में हुआ जिससे उसका पूरा जीवन बिखर सा गया पर उसके माता-पिता उसकी बहने उसे हिम्मत बन उसका जीवन फिर से खुशियों से भर ना चाहती हैं।
निखिल अपनी पत्नी निशा के साथ और अपने 8 साल के बेटे शुभ के साथ अपने जीवन में बहुत खुश था वह मुंबई में सॉफ्टवेयर इंजीनियर था वह अपने बच्चे और पत्नी के साथ वहीं रहता था।
अपनी फैमिली में बहुत खुश था पर 2 साल से इस कोरोना के चलते अपने बीवी बच्चों के साथ वह अपने मां बाप के पास अपने गांव आ गया।
वह गांव में अपने मां-बाप के पास अपने बीवी बच्चों के साथ खुशी से रह रहा था निखिल की शादी को 10 साल ही हुए थे इस कोरोना ने जैसे सब के जीवन में गहन सा लगा दिया था।
सब कुछ अच्छे से चल रहा था वह घर से ही अपना सब कुछ काम कर रहा था बस वह इंतजार कर रहा था कि कभी यह बुरा समय निकले और वह वापस अपने मुंबई आकर अपने काम को और अच्छे से कर पाए।
पर अचानक ही इस कोरोना काल में एक दिन शाम को अचानक से निशा की तबीयत बिगड़ गई निशा को सांस लेने में तकलीफ होने लगी उसे देख निखिल डर गया वह तुरंत ही निशा को हॉस्पिटल लेकर गया जैसे तैसे उसे एडमिट कराया और ऑक्सीजन का भी इंतजाम किया।
पर डॉक्टर अपनी हर तरह से कोशिश करने के बाद भी निशा को नहीं बचा पाए निशा का ऑक्सीजन लेवल बिल्कुल डाउन हो चुका था निशा निखिल को छोड़ के जा चुकी थी जब डॉक्टर ने निखिल को बोला तो निखिल यह सुन एकदम चुप हो गया और उसे यकीन ही नहीं हुआ कि उसकी निशा उसे छोड़कर जा चुकी है पर उसे उसके मां बाप ने बहनों ने उसे संभाला उसे समझाया कि निशा हमारे बीच नहीं है।
वह फूट-फूट कर रोने लगा आखिरी समय में भी वह अपनी निशा को देख भी नहीं पाया।
निखिल यह सब दूर से देख रहा था कि उसका पार्थिव शरीर भी उसे नहीं मिला मैं उसके गले लग कर रो भी ना सका।
जैसे तैसे उसके मां बाप ने और बहनों ने उसे संभाला पर रोते रोते बस यही कह रहा था कि मेरी निशा मुझे छोड़कर नहीं जा सकती वह तो मेरे साथ वापस मुंबई जाने वाली थी ऐसे कैसे मुझे छोड़ कर जा सकती है।
बस रोते-रोते यही बार-बार बोल रहा था और एक नजर अपने बेटे शुभ पर डाली तो वह और टूट गया कि मेरे बेटे क्या कसूर था जो उसकी मां को छीन लिया मैं कैसे मां का प्यार दे पाऊंगा।
शुभ भी अपने पापा को रोता देख गले लग गया वह छोटा बच्चा ना तो वह समझ पाया कि यह सब क्या हो गया पर उस बच्चे ने भी अपने पापा को हिम्मत दे कर यही कहा पापा मम्मी कहीं नहीं गई मम्मी हमारे ही बीच है। मां हमसे दूर कैसे जा सकती है वह तो हमारे दिल में है आपके दिल में हैं तो वह दूर कैसे हो सकती है।
जो दिल के पास होते हैं वह कभी दूर नहीं जाते।
यह सुनकर निखिल अपने बेटे शुभ को देखता ही रह गया कि मेरा बेटा मुझे कितने प्यार से समझा रहा है
निखिल में अपने आंसू पहुंचे और अपने बेटे शुभ को गले लगा लिया और कहा हां बेटा
हमारी निशा कहीं नहीं गई वह हमारे दिल में है वह हमारे आसपास है वह हम से कैसे दूर जा सकती है
तुमने सही कहा शुभ जो दिल के करीब होते हैं वह कभी दूर नहीं जाते
बोलते बोलते हैं निखिल और शुभ रोने लगे और एक दूसरे को हिम्मत देने लगे
निखिल को आप अब शुभ को संभालना था तो उसे स्ट्रांग तो बनना ही था
दोस्तों इस पूरे समय में सच में लोगों ने अपने अपनों को खोया है और उसका दर्द सिर्फ उनको ही पता कि उन्होंने क्या खो दिया इस कोरोना ने सबका जीवन बिखेर सा दिया
बस थोड़ी सी सावधानी और हिम्मत और हौसले की जरूरत है ताकि इस बीमारी से बचाव हो सके खुद का और दूसरे की हिम्मत बने और इस समय में खुद स्वस्थ रहकर दूसरों की भी मदद करें चाहे वह किसी भी तरह से हो
एक दूसरे की मदद से ही और कुछ जो सेफ्टी रूल्स है उन्हें फॉलो करके कोरोना से बचा जा सकता है
घर रहे और आप स्वस्थ रहें!!
**नीतू गुप्ता