दूर हमसे जाते रहे
तुझे हम तो पाने के सपने सजाते रहे।
मगर और भी दूर तुम हमसे जाते रहे।
खता क्या हुई ये हमें तो पता भी नहीं-
रुलाकर अकारण हमें तुम सताते रहे।
तुझे हम तो पाने के सपने सजाते रहे।
मगर और भी दूर तुम हमसे जाते रहे।
खता क्या हुई ये हमें तो पता भी नहीं-
रुलाकर अकारण हमें तुम सताते रहे।