दूर करो दुःख-संकट सारे
// मत्तगयन्द सवैया छन्द* में विष्णु-हरि भगवान की कृष्ण रूप में आरती //
२११ + २११ + २११ + २११ + २११ + २११ + २११ + २२
ओ मधुसूदन, ओ मुरलीधर, ओ मनमोहन, हो तुम प्यारे
ओ जगपालक, ओ करुणानिधि, ओ जगदीश दयालु हमारे
ओ दुःखनाशक, ओ दुःखभंजन, दूर करो दुःख-संकट सारे
ओ कमलापति, ओ जगदीश-सुरेशम, आज अनाथ पुकारे
*मत्तगयन्द सवैया छन्द — सम वर्ण वृत्त या वार्णिक छन्द है। || इसके प्रत्येक चरण में ७ भगण(२११) और दो गुरु के क्रम से २३ वर्ण होते हैं। || प्रतिबन्ध नियम: इस छंद में एक गुरु (२) के स्थान पर दो लघु (१+१) की छूट नहीं होती है। ||