दूध सी सफेदी
“दूध सी सफेदी”
(सत्य लघुकथा)
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मैं नित्य की तरह ब्रह्ममुहूर्त में रसोईघर में दूध गर्म करके उसमें कॉफी मिलाई और पी ली तथा शेष दूध पतीले में ही रोज की तरह रख दिया | तत्पश्चात मैं सुबह सुबह प्रात:भ्रमण पर निकल गया | करीब एक घंटे पश्चात घर लौटा , तो मेरी पत्नी भी उठ चुकी थी और रसोईघर में मुँह धोने लगी | तभी अचानक मुझे कहा – देखो जी आज पानी इतना चिकना-चिकना सा है | मैंने देखा तो मेरी हँसी फूट पड़ी ! क्यों कि वो गुनगुना पानी….पानी नहीं ! दूध था , जिसे मैंने गैस चूल्हे पर ही छोड़ दिया था | फिर हँसी दबाकर मैंने कहा – भाग्यवान ये चिकना-चिकना दूध था ……पर ! कोई बात नहीं ….दूध सी सफेदी ,दूध से आए !!!!!!!
(डॉ०प्रदीप कुमार “दीप”)