दूध के दाँत
दूध के दाँत
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-डाक्टर साहब ! मुझे ये वाला दाँत निकलवाना है !
-इसे निकलवाने की क्या जरूरत है बेटा ! कच्चा दांत है ! दूध के दाँत खुद ही निकल जाते हैं बेटा !
-अपनी फीस बताइये डाक्टर साहब ! ज्यादा टाल-मटोल मत कीजिए ! परेशान हो चुका हूँ मैं दूध के इन दाँतों से ! जब भी कोई डिसीजन लेने जाता हूँ, माँ-बाप भी ताने देते हैं । कहते हैं- “दूध के दाँत तो टूट जाने दो ” !
– आज मैं तुड़वा कर ही रहूँगा दूध के इस आखिरी दाँत को ! अपनी राह के रोड़े को !
… बेटा अब बड़ा हो रहा था ।
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हरीश चन्द्र लोहुमी, लखनऊ (उ॰प्र॰)
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