दूजा नहीं रहता
घिरा हूँ गम गुसारों से कभी तन्हा नहीं रहता
गमों के दौर में कोई मगर अपना नहीं रहता
अगर हनुमान होते चीरकर दिल भी दिखा देते
यकी हो या न हो, दिल में को’ई दूजा नहीं रहता
घिरा हूँ गम गुसारों से कभी तन्हा नहीं रहता
गमों के दौर में कोई मगर अपना नहीं रहता
अगर हनुमान होते चीरकर दिल भी दिखा देते
यकी हो या न हो, दिल में को’ई दूजा नहीं रहता