‘दुष्टों का नाश करें’ (ओज – रस)
हे प्रभु राम! कृपालु शिरोमणि मर्यादा पुरुषोत्तम हरे!
एक वर दीजिए आज हमें प्रभु हम दुष्टों का नाश करें।
सत्ता लोलुप धन के लोभी अत्याचार व अधर्म करें
धर्म के नाशी अधर्म के वासी धरा पर इनका पाप बढ़े।
दुर्जन दुष्ट अमंगल कारी भारत माँ पर न पैर धरे
एक वर दीजिए आज हमें प्रभु हम दुष्टों का नाश करें।
सनातन विरोधी मानव दोषी सुधा पर नंगा नाच करें
तन-मन भोगी दुष्ट मनमौजी माँ बहनों का मान हरे।
असुरभयंकर राक्षस दंगकर हिन्दराष्ट्र पर घात करें
एक वर दीजिए आज हमें प्रभु हम दुष्टों का नाश करें।
अखिल निशाचर मदलूप गोचर दानव अट्टहास करें
रक्तपिपासी पातालवासी अभिमानी मिथ्या दंभ भरे।
ओज भरे हम रणभूमि में हाथ में अस्त्र और शस्त्र धरे
एक वर दीजिए आज हमें प्रभु हम दुष्टों का नाश करें।
हे प्रभु राम! कृपालु शिरोमणि मर्यादा पुरुषोत्तम हरे!
एक वर दीजिए आज हमें प्रभु हम दुष्टों का नाश करें।
– विष्णु प्रसाद ‘पाँचोटिया’
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