*** दुश्मन-दोस्त ***
चन्द अल्फ़ाज ही तो है जो दोस्त-दुश्मन बनाते हैं
जो जुबां-मिश्री-घुली हो तो दुश्मन-दोस्त बनाते हैं
बनाते हो त्योंहारी-मीठा क्या देखो ग़जब ढाते हो
अहाते-ख़ंजर नहीं रखते जो दुश्मनदोस्त बनाते हैं ।।
?मधुप बैरागी
दीपावली की हार्दिक शुभकामनाऐ
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