दुर्मिल सवैया आधारित मुक्तक–
दुर्मिल सवैया आधारित मुक्तक–
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बरसात झमाझम आज हुई,सखि भींग रही खुश हो अँगना।
जलधार गिरे छत से अब तो तब देख रहे हँसते सजना।
गरजे बदरा चमके बिजुरी,डरती वह भाग रही घर में,
फिसले जब पाँव बची गिरते,उलझे लट में अँटके कँगना।।
**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**