दुमदार दोहे
दुमदार
दोहा छंद-13,11
विषय -आधुनिक सास
रस-हास्य रस
रोज देर से है उठे, वो अलबेली सास।
बनती ज्यादा तेज है, समझे खुद को खास।।
नित्य वो जिम है जाती।
बहू कुछ समझ न पाती।
किट्टी पार्टी वो करे,खेले हैं नित गेम।
ऐसी वैसी मत कहो ,बन कर रहती मेम ।।
फटाफट नंबर छांटे ।
ताश के पत्ते बाँटे ।
ब्यूटी पार्लर जा रही, स्टेट कराये बाल।
करती फेशियल शोक से, मस्तानी है चाल।।
बहू से छोटी लगती ।
माधुरी जैसी बनती।
कजरारे से नैन है, होंठ सुर्ख से लाल।
पहन ब्रांडेड कुर्तियां, जाए है ये माल ।।
जवानी उस पर छाई।
रहे खुद पर इतराई ।।
सीमा शर्मा