Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Jan 2022 · 1 min read

दुनिया

✒️जीवन ?की पाठशाला ?️

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की यहाँ आपके अनुभवों के आधार पर कही गई बातों को कोई नहीं मानना -समझना चाहता ,हाँ लेकिन बातों का बुरा सब मान जाते हैं …,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की एक मनुष्य अपनी सोच -अपने विचार -अपनी कल्पनाओं के जाल में इस कदर उलझ जाता है ,जितना की एक मकड़ी भी अपने बनाये जाल में नहीं उलझती …,

जीवन चक्र ने मुझे सिखाया की इंसान जिंदगी में सब कुछ हासिल कर सकता है सिवाय समय चक्र के साथ खोये रिश्तों और विश्वास के ….,

आखिर में एक ही बात समझ आई की इस दुनियादारी में अपने -नाते -रिश्तेदार -सामाजिक व्यक्ति उन्हीं की ख़ैर खबर लेते हैं जिनका मुकाम कायम है धन दौलत गाड़ी मकान से वर्ना मुकाम खो चुके व्यक्ति के तो नंबर तक इन दुनिया वालों से गलती से डिलीट हो जाते हैं -या उनका मोबाइल ख़राब हो जाता है या कुछ और बहाना ….वाह री दुनिया ….

बाकी कल ,खतरा अभी टला नहीं है ,दो गई की दूरी और मास्क ? है जरूरी ….सावधान रहिये -सतर्क रहिये -निस्वार्थ नेक कर्म कीजिये -अपने इष्ट -सतगुरु को अपने आप को समर्पित कर दीजिये ….!

?सुप्रभात ?

आपका दिन शुभ हो
विकास शर्मा'”शिवाया”
?जयपुर -राजस्थान ?

Language: Hindi
Tag: लेख
317 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Loading...