दुनिया
जीतेजी तो दुखती रग पर ,
मरहम भरा हाथ रखती नहीं दुनिया ।
मगर मैय्यत पर किसी की चार ,
अश्क बहाकर फर्ज निभा देती है दुनिया।
जीतेजी तो दुखती रग पर ,
मरहम भरा हाथ रखती नहीं दुनिया ।
मगर मैय्यत पर किसी की चार ,
अश्क बहाकर फर्ज निभा देती है दुनिया।