दुनिया हकीर है
इंन गुनाहगार आँखों को खुदा ने जियारतऔ का शरफ़ बख्श दिया
अब तो दुनिया हकीर लगती है
अब फ़क़ीरी अमीर लगती है.
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कोई नहीं है
जो खुदमुख्तार है।
ना चाँद
ना सूरज:
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ना बादल
ना पहाड़
ना समंदर
ना …सितारे
टिके है… ये
खुदा के हुक्म से सारे….
फिर इंसान के बस में तो
कुछ भी नहीं….
जर्रा बराबर भी
होने नहीं देता
जाया
जो इंसान की नेकी।
और जब देने पे
आए तो बेहिसाब देता है…
ये उस की रहमत है
जब जोश में आए तो
ज़र्रे
को बना देता है आफताब..
आओ यही दुआ करे
के मौला कर हिफ़ाज़त
उन के जानो माल की
हिफाजत कर उन की
आल औलाद की और
उन की इज्ज़तऔ आबरू की
जमाना दुश्मन हुआ
जब
….तो
मुहम्मद (स.अ.) का घराना
कयामत तक
दीन को जिंदा रखने के
लिए अपना खून बहा चुका है…
कोई नहीं मिटा सकता
रहती दुनिया तक
अज़ान कयामो दयाम रहेगी
शबीनाज़
ShabinaZ@