दुनिया से प्रस्थान
करना सबको एक दिन,दुनिया से प्रस्थान ।
डरता है इस सत्य से,…कहाँ मगर इन्सान ।।
आगे पीछे ही सही,………होगा मगर हिसाब ।
कर्मो की निॆश्चित खुले ,इक दिन यहाँ किताब ।।
रमेश शर्मा.
करना सबको एक दिन,दुनिया से प्रस्थान ।
डरता है इस सत्य से,…कहाँ मगर इन्सान ।।
आगे पीछे ही सही,………होगा मगर हिसाब ।
कर्मो की निॆश्चित खुले ,इक दिन यहाँ किताब ।।
रमेश शर्मा.