दुनिया बड़ी, बेदर्द है, यह लिख गई, कलम।।
डूबे सभी मगन नशे देखो सुनो करम।
दूजों में देखते कमी व्योहार सम विषम।।1
221, 2121, 1221, 212
कुछ लोग कह रहे अरे बेकार ही गये।
कुछ भी न ठीक-ठाक था उस व्याह कार्यक्रम।।
कुछ भी नही दिया किया शादी दहेज बिन।
चावल कहीं रहा मिला रोटी कहीं थी कम।।3
डोसा नहीं मिला किसी को चाट, चुक गई।
विस्की नहीं दिखी कहीं बॉटल मिली न रम।।4
कहना बहुत सरल अरे करना कठिन सही।
इक बाप, लिख रहा था, जो कर्जा लिया रकम।।5
‘कौशल’ नजारा देख, समझ कर करीब से।
दुनिया बड़ी है मतलबी सच लिख गई कलम।।6