हमारे जख्मों पे जाया न कर।
लम्हें यादों के.....
कुलदीप दहिया "मरजाणा दीप"
अपनी काविश से जो मंजिल को पाने लगते हैं वो खारज़ार ही गुलशन बनाने लगते हैं। ❤️ जिन्हे भी फिक्र नहीं है अवामी मसले की। शोर संसद में वही तो मचाने लगते हैं।
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
- जिंदगी में राहगीर तुझको जिए जाना है -
वही पुरानी बोतलें, .. वही पुराना जाम.
प्रदूषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
एक समय था जब शांतिप्रिय समुदाय के लोग घर से पशु, ट्यूवेल से
छाई रे घटा घनघोर,सखी री पावस में चहुंओर
यही बात समझने में आधी जिंदगी बीत गई
🥀*✍अज्ञानी की*🥀
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जीवन में चलते तो सभी हैं, मगर कोई मंजिल तक तो कोई शिखर तक ।।
हम अपना जीवन अधिकतम बुद्धिमत्ता के साथ जीना चाहते हैं, इसका