दुनियां (एक हकीकत)
अजब दुनियां के खेले हैं ।
ना तन्हा हैं ना मेले हैं।।
ना हो जब साथ में कोई।
हसरतें साथ होती हैं।।
कभी यादें मेरे दिल को।
किसी की खूब आती हैं।।
जो शिरकत हो महफिल में।
सभी अंजान लगते हैं।।
फरेबी हैं बहुत “आशिक”।
ना तेरे हैं ना मेरे हैं।।
कभी जज़्बात से खेलें।
कभी यारी बनाते हैं।।
वो लगते हैं हमें अपने।
छिपकर वार करते हैं।।
कभी आते हमारे घर।
कभी हमको बुलाते हैं।।
हुए जब हम परेशां तो।
नज़र हमसे चुराते हैं।।
बहुत है कश्मकश यारो।
बड़े जग के झमेले हैं।।
उमेश मेहरा
गाडरवारा (एम पी)
9479611151