दुख हरयो दुखभंजणी, सेवक करी सहाय। दुख हरयो दुखभंजणी, सेवक करी सहाय। हसतौ बाहर काढ़यौ, मरज सूं महमाय।। जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया…✍🏼