दुआ पर लिखे अशआर
बन के तकदीर कब बदलती है।
मुझको मांगा न कर दुआओं में ॥
तमाम खुशियाँ जहाँ की तेरा मुकदर हों।
मेरी दुआओं का बस तू ही मरकज़ हो ।।
भूल कैसे हमें वो जाएंगे ।
उम्र भर उनको याद आएंगे।।
हाथ उठाएंगे जब दुआ के लिए।
हर दुआ में हमें वो पाएंगे।।
एक एहसास खास रख लेना ।
मुझको अपनी दुआ में रख लेना।।
कोई मुश्किल हमें नहीं आती ।
हम दुआ तेरी साथ रखते हैं ।।
पाकीज़ा एहसास के जज़्बो
की तरह है ।
तू मेरे लबों पर दुआओं की
तरह है ।।
कुछ दुआ का असर नहीं दिखता ।
आप दिल से दुआ नहीं करते ।।
बन के तकदीर कब बदलती है ।
मुझको मांगा न कर दुआओं में ॥
तमाम खुशियाँ जहाँ की तेरा मुकदए हों।
मेरी दुआओं का बस तू ही मरकज़ हो ।।
एक एहसास खास रख लेना ।
मुझको अपनी दुआ में रख लेना।।
आप से हम मिले अगर फिर से ।
आप मेरे लिए दुआ करना ।।
दिल की गहराइयों से
तुमको ये दुआ दे दें ।
जहाँ की हर खुशी
तुमको सब ख़ुदा दे दे।।
हर दुआ में है, ख़ैर बस तेरी ।
काश़ तुझ तक मेरी दुआ पहुंचे ।।
कितनी दिलकश है,
अ’दा मेरी।
मेरे होंठों पर फक़्त
दु’आ तेरी।।
डाॅ फौज़िया नसीम शाद