‘दुआ’ करो न बने ये मंजर….
तबाही का मंजर हैं मौत जैसा मंजर ।
‘दुआ” करो न बने ये मंजर ।।
न फैले कहीं भी डर और खौफ का मंजर ।
ये जो भूमि हैं….ये अमूल्य धरोहर ईश्वर की,
ऐ हो जाएंगी बंजर ।।
तबाही का मंजर हैं मौत जैसा मंजर ।
‘दुआ” करो न बने ये मंजर ।।
न फैले कहीं भी डर और खौफ का मंजर ।
ये जो भूमि हैं….ये अमूल्य धरोहर ईश्वर की,
ऐ हो जाएंगी बंजर ।।