Sahityapedia
Login
Create Account
Home
Search
Dashboard
0
Notifications
Settings
#3 Trending Author
पूर्वार्थ
48 Followers
Follow
Report this post
18 Jul 2024 · 1 min read
दुआएँ मिल जाये यही काफी है,
दुआएँ मिल जाये यही काफी है,
दवाए तो कीमत अदा करने पर मिल ही जाती हैं।
Tag:
Quote Writer
Like
Share
79 Views
Share
Facebook
Twitter
WhatsApp
Copy link to share
Copy
Link copied!
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Join Sahityapedia on Whatsapp
You may also like:
अर्थ के बिना
Sonam Puneet Dubey
साँवलें रंग में सादगी समेटे,
ओसमणी साहू 'ओश'
वो आँखें
Kshma Urmila
विनती
कविता झा ‘गीत’
ज़माने से मिलकर ज़माने की सहुलियत में
शिव प्रताप लोधी
कहने से हो जाता विकास, हाल यह अब नहीं होता
gurudeenverma198
आंखन तिमिर बढ़ा,
Mahender Singh
भ्रूण हत्या:अब याचना नहीं रण होगा....
पं अंजू पांडेय अश्रु
बंधन खुलने दो(An Erotic Poem)
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
सीने पर थीं पुस्तकें, नैना रंग हजार।
Suryakant Dwivedi
दिल में बसाना नहीं चाहता
Ramji Tiwari
रंगों के पावन पर्व होली की आप सभी को हार्दिक बधाइयाँ एवं शुभ
आर.एस. 'प्रीतम'
🙅सेक्युलर्स के अनुसार🙅
*प्रणय*
सृष्टि की उत्पत्ति
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
जय हिन्दू जय हिंदुस्तान,
कृष्णकांत गुर्जर
गौण हुईं अनुभूतियाँ,
sushil sarna
चिलचिलाती धूप में निकल कर आ गए
कवि दीपक बवेजा
मरना क्यों?
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
तुम मिले भी तो, ऐसे मक़ाम पे मिले,
Shreedhar
गांव की गौरी
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
"जाम"
Dr. Kishan tandon kranti
यही बात समझने में आधी जिंदगी बीत गई
Ashwini sharma
काव्य में सत्य, शिव और सौंदर्य
कवि रमेशराज
देश की पहचान
Dr fauzia Naseem shad
तेरे मेरे दरमियाँ ये फ़ासला अच्छा नहीं
अंसार एटवी
मेरी नज्म, मेरी ग़ज़ल, यह शायरी
VINOD CHAUHAN
घर घर मने दीवाली
Satish Srijan
तन मन मदहोश सा,ये कौनसी बयार है
पूर्वार्थ
*मैं पक्षी होती
Madhu Shah
मिथ्याक भंवर मे फँसि -फँसि केँ
DrLakshman Jha Parimal
Loading...