दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
का होगा कभी न अंत
तुम देखो बस अपना अनंत,
पतझर वाले दिन बिसरा दो
नव पुष्प धरा पर बिखरा दो
तुम देखो बस अपना बसंत ।।
दुःख, दर्द, द्वन्द्व, अपमान, अश्रु
का होगा कभी न अंत
तुम देखो बस अपना अनंत,
पतझर वाले दिन बिसरा दो
नव पुष्प धरा पर बिखरा दो
तुम देखो बस अपना बसंत ।।