दीवाली हो (घनाक्षरी)
दीवाली हो (घनाक्षरी)
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इतने दीपक चहुँ ओर जलें
धरती पर रात न काली हो,
खुशियों से मन महके सबका
कोना न कहीं पर खाली हो,
अधरों पर गीत मधुर हों ऋतु
संगीत सुनाने वाली हो,
अब चंदा के मोहताज न हों
दम पर अब अपने दीवाली हो ।।
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रचयिता : रवि प्रकाश, बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 99976 15451