दीवाली आयी है
प्यारा पर्व-प्रकाश, दीवाली आई है,
दीपों का त्योहार ,दीवाली आई है।
बने खिलौने चीनी, और मिट्टी के भी,
बच्चे उड़ाये रॉकेट, दीवाली आई है।
महँगाई की मार, खुशी ले फुर्र हुई,
अश्रु के दीपक जले,दीवाली आई है।
मचा रहे कुछ शोर, पटाखे सोच रहे,
वायु प्रदूषण ने फिर, जोर मचाई है।
भूखे, नंगे दहशत में, गुमशुम से हैं,
झाँक रही रोशनी, दीवाली आई है।
जली शमाँ नहीं है,जिनके झोपड़ में,
वो हैं पड़े उदास , दीवाली आई है।
जो घर से बेघर हैं,अपनों की खातिर,
सोचें उनके अंदाज, दीवाली आई है।
सीमाएं बेदर्दी की भी, पहचान बनीं,
उन सैनिक के घर भी,दीवाली आई है।
रावण मरा, राम ने कल ही मारा था,
द्वारे लंका के बजती , शहनाई है।
दीपक जलते बिना तेल , डर के मारे,
जश्न मनाओ, आज दीवाली आई है।
है अशोक मन चिन्ता,उन दुखियारों की,
जिनका छत आकाश, दीवाली आई है।
चेहरे की मुस्कान बनें, हम जा उनके,
तब समझें कि,आज दीवाली आई है।
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अशोक शर्मा,कुशीनगर,उ.प्र.
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