दीवार
दीवार
रामकौर और श्यामलाल ने अपने बहू-बेटे की लाख मान-मनौवल के बाद अपना गांव का घर छोड़ा और बहू-बेटे/पौता-पौती के पास आ गए रहने।
कुछ समय बाद रामकौर ऊब गई बहू-बेटे के आधुनिक तौर-तरीकों से। जैसे वह अपने पति से, अपनी बात मनवाने को दीवार पर टक्कर मारने लगती थी। यह उपक्रम उसने यहाँ भी शुरु कर दिया।
अगले ही रोज श्यामलाल अपनी पत्नी को पहली बस में बैठाकर गांव चला गया। उसे पता है, शहर की दीवार मजबूत कंक्रीट की बनी होती हैं। जिनसे सिर फूटेगा, दीवार नहीं। गांव की दीवार गारा-मिट्टी से बनी हैं, टक्कर से सिर नहीं दीवार टूटेगी।
-विनोद सिल्ला