दीये के उजाले तो तमाम से हो गए ….
दीये के उजाले तो तमाम से हो गए
दिल के अँधेरे तो आम से हो गए
तरक्की तो हुई ज़माने की लेकिन
हर शक्श मानसिक गुलाम से हो गए ।
(अवनीश कुमार)
दीये के उजाले तो तमाम से हो गए
दिल के अँधेरे तो आम से हो गए
तरक्की तो हुई ज़माने की लेकिन
हर शक्श मानसिक गुलाम से हो गए ।
(अवनीश कुमार)