दीप जला दो
मन के भी अब दीप जला लो, वैर भाव को पूर्ण मिटा दो
दीवाली के दीप पर्व पर , दीप में नेह की बाती लगा दो
चहक उठे खुशियाँ आंगन में, महक उठे जुही मधुवन में
खिलें सुमन आशाओं के , बिखरी सुगंधी हो उपवन में
ऐसी अब प्रेम सुधा वरसा दो
आयें लक्ष्मी संग गणेशा , हर हर बम बम गणपति वेषा
स्नेह भाव पूरित हो जाएँ , मिटे हृदय से नाम विघ्न क्लेशा
ऐसा अब नव दीप जगा दो
मात पिता की पूरी हो आशा, स्नेह में डूबी सबकी हो भाषा
मंगलकारी कृत्य हो जाएँ, हो ईश समर्पित सबरी परिभाषा
समृद्धि सौहाद्र चहुँ ओर फैला दो