दीपोत्सव
#दीपोत्सवदीपदान से दीपावली बना त्यौहार छोटे से छोटे और बड़े से बड़े व्यापारी से लेकर मजदूर तक त्योहारों की दृष्टि से मनाए जा रहे हैं अति उत्साहित दीपावली त्यौहार मैं यहां एक रंग त्यौहार मनाने के साथ-साथ ढोंग पाखंडवाद हठधर्मिता के नए-नए रूप रंग देखने को मिलते हैं जिस प्रकार दीपावली भारत में रहने वाले प्रत्येक व्यक्ति चाहे वह किसी भी धर्म के चंगुल में फंसा हो कहीं ना कहीं लपेटे में आ ही जाता है पंच दिवसीय इस त्यौहार में अनेकों अनेक प्रकार की भ्रम भारतीयों सहित गरीब परिवारों का दिवाला निकल जाता है अनेकों अनेक स्वरूप मैं त्योहारों में पारंपरिक वेशभूषा है एवं नए-नए प्रयोगों में एक दूसरे को देख कर थोड़ा होड़ में पैसा खर्च किया जाता है यह बात सही है की त्यौहार अब जो लोग समझ चुके हैं उनकी मजबूरी भी अपने बच्चों के प्रति इस दलदल में घसीट लाती है एक दीपावली गरीब मजदूर की बच्चे की कि वह यह सोच रहा है कि पटाखे नए जूते चप्पल मीठा एवं अन्य सामग्रियां कब पास में आए और मैं कब त्यौहार मनाऊं जैसा कि इसका विपरीत अन्य पेशेवर लोगों के साथ नहीं होता बड़ी ही विकट घड़ी में मजदूर वर्ग इस त्यौहार को ठीक ढंग से मना पाता है बच्चों के लिए रही है त्योहार स्कूल से 10 दिन की छुट्टियों का रहता है वह उसी में ही खुश रहते हैं त्यौहार में धनतेरस पर धन खरीदो बर्तन खरीदे इलेक्ट्रॉनिक सामान खरीदें नए नए ढकोसले गरीबों का बंटाधार इस त्योहार पर एक बात सही है कि प्रकृति द्वारा दिए गए उपहार गन्नों और फलों व्यक्ति अपना आता है कालरात्रि दीपावली महोत्सव में जुआ खेला जाता है जो वर्षों से माता पिता जिस कार्य के लिए मना करते हैं वही कार्य इस त्यौहार में बड़े बुजुर्ग परिवार के साथ बैठकर आनंद लेते हैं कई लोग अर्धरात्रि ढोंग पाखंडवाद के अनुसार विशेष पूजा पाठ करते हैं बस इसी में सिमटा हुआ यह त्यौहार गरीब को अनंत खुशियां दे जाता है और पीछे अपने बच्चों की खुशियों के लिए वह कर्ज ढोंग पाखंड वाद से मिश्रित दीपोत्सव से बदला गया दीपावली त्यौहार हर गरीब और हर अमीर बस यही सोच की लक्ष्मी स्वरूप प्रसन्न हो और अगले वर्ष आनंद खुशियों के साथ त्यौहार मनाएं !!!
अंततः बच्चों की खुशियों के लिए समर्पित भाव से माता पिता समर्पित हो जाते हैं!
और अंततः दीपदान से दीपोत्सव से विमुख समाज दीपावली नामक त्योहारों में सम्मिलित और समर्पित हो जाते हैं!
लेख
स्वतंत्र विचारक
शिक्षक
उमेश बैरवा