दीपावली स्वर्णिम रथ है
श्री राम आगमन पर्व सुपावन माह कार्तिक अमावस्या ।
बच्चे बूढ़े सब मिल पूजें,पूरित वर्षों की तपस्या।।
हर बेटी सीता की प्रतिमा, बेटा श्री राम की मूरत है।
धन तेरस बरसें लक्ष्मी जी, दीपावली महा तीरथ है।।
वेद पुराणों में उल्लेखित,धर्म सनातन का सत है।
भारतीय संस्कृति सभ्यता का,दीपावली स्वर्णिम रथ है।
प्रेम खुशी आस्था सनातन,भाव विभोर मन लथपथ है।
सदा झूठ पर विजय सत्य की, दीपावली महातीरथ है।।
जलाएँ मिट्टी के दीपक हम,कुम्हार को दें खुशियाँ अनमोल।
रंगोलियों से सजें घर द्वार हमारे,हर घर खुशियाँ करें किलोल।
सुख समृद्धि की चंचल रश्मि आ रहीं लेकर रथ हैं।
अमा रात्रि बनी है दुल्हन, दीपावली महातीरथ है।
पटाखों की जगह हम बाँटें,मिठास जो दिल में बस जाए।
सहयोग देकर मदद करें हम,हर जरूरतमंद मुस्काए।
स्वाहा करें कलुषता सारी,स्नेह बसा सुधा सत है।
दीपों का त्योहार अनूठा, दीपावली महातीरथ है।।
हरित दीपावली सभी मनाएँ,प्रदूषण का इति मान करें।
फुलझड़ी पटाखे नहीं जलाएंँ,प्रकृति का सम्मान करें।
खुशियांँ सदा परोपकारी होतीं, उनका और न कोई पथ है।
कार्तिक मास की जगमग अमावस्या, दीपावली महातीरथ है।।
अन्नकूट का पर्व मनाएंँ,जरूरतमंदों के संग बाँटें।
फसल खरीफ पकी खेतों में,अन्न प्रदाता अन्न छाँटें।।
शुद्ध अनाज खेत का अपने-खुशी गांव की रही अकथ है।
खरीफ फसल पकने को आए,दीपावली महातीरथ है।।
आओ खुशी स्थायी करलें,दीप नहीं यह बुझने दें।
आओ हम मानव शरीर में, श्री राम निज गुणों को भर लें।।
मात्र संतुलन गुण कर सकते,इनका अपना ही परिपथ है।
सनातनी भारत भूमि पर, दीपावली महातीरथ है।।
नव दुर्गा फिर विजयादशमी,धन-तेरस धन बरसत है।
छोटी बड़ी दिवाली लाती,गोवरधन संग बरकत है ।
नदी,गाय,वसुधा जननी सम,प्राण दायिनी समरथ हैं।
प्रेम भरे त्योहार हमारे, दीपावली महातीरथ है।।
सादगी में रहो आनंदित,ऐसी दीप पर्व की वाणी।
हर्षोल्लास भरे हर उर में,आदर्श राम का आगमन है।
दीपों का शुभ पर्व अमर है।सदियों से श्रुति संमत है।
विश्व गुरु की उच्च पताका, दीपावली महातीरथ है।।
नीलम शर्मा ✍️