दीदार
दिन के मनहूस हर लम्हे को,तन्हाई में जीया करते हैं
शाम ढल जाने का, इन्तज़ार किया करते हैं
फिर खो जाते हैं ,नींद के आगोश में इस कद्र ‘देव’
और ख़्वाबों में ही, आपका दीदार किया करते हैं
दिन के मनहूस हर लम्हे को,तन्हाई में जीया करते हैं
शाम ढल जाने का, इन्तज़ार किया करते हैं
फिर खो जाते हैं ,नींद के आगोश में इस कद्र ‘देव’
और ख़्वाबों में ही, आपका दीदार किया करते हैं