दिसोटण
दिसोटण
अध्यापक बलकार छुट्टी के बाद ड्युटी से आए। अपनी गली में प्रवेश किया तो रंग-ढंग बदले से प्रतीत हुए।
जो भी मिला मुंह लटकाए मिला। महिलाएं भी कानाफूसी-सी करती नज़र आई। मास्टर जी का माथा ठनका। किसी अनहोनी की आशंका हुई।
मास्टर जी सोचते-विचारते घर जा पहुंचे। घर जाकर पत्नी से खैरियत पूछी।
मास्टर जी की पत्नी ने बताया, “बाकी तो कुछ विशेष नहीं, बंसी की पत्नी को लड़की हुई है।”
इतना सुनते ही मास्टर जी पूरा माजरा समझ गए। पूरी गली कन्या पैदा होने का मातम मना रही है।
कुछ महिने उपरान्त मास्टर जी के घर पौती ने जन्म लिया। मास्टर जी ने पौती के जन्म पर दिसोटण करके। उदाहरण पेश किया कि लड़कियां किसी क्षेत्र में लड़कों से कम नहीं।
-विनोद सिल्ला