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19 Sep 2019 · 1 min read

दिव्य लीला अंक 28

गतांक से आगे……

दिव्य कृष्ण लीला ….अंक 28
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बकासुर प्रकरण

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मधुपुर में मथुरापति को जब ,खबर मिली वत्सासुर की।

माथे पर तीन सिलवटे धर , आई याद बकासुर की।

बस दूत बुलावा धर भेजा , समझा व्यथा भयातुर की।

बोला मितवा चिंता छोड़ो , मुझ पर सभी सुरासुर की।

यह कहकर बक दानव ने भी,किया प्रस्थान… कहाँ सम्भव??

हे पूर्ण कला के अवतारी … तेरा यशगान… कहाँ सम्भव? 55

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कंस सखा यह बक दानव था ,बक का जिसने रूप धरा।

इसी वजह से इस दानव का ,बकासुर सा नाम पड़ा।

यह जाकर जमुना मैं बैठा ,मानो इंद्र का वज्र गिरा।

लम्बी चौन्च बड़ी आंखे थी,लगता था आश्चर्य भरा।

देख इसे वत्सपाल सारे, करे चीत्कार … कहाँ सम्भव?

हे पूर्ण कला के अवतारी,तेरा यशगान…कहाँ सम्भव? 56
***********************
क्रमशः अगले अंक में
*********************
कलम घिसाई
©®
कॉपी राइट
9414764891

Language: Hindi
Tag: गीत
1 Like · 2 Comments · 522 Views
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