दिव्य माला अंक 33
गतांक से आगे……
दिव्य कृष्ण लीला ….अंक 33
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कालिया मर्दन
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चलो कन्हैया की कुछ लीला ,ओर तुम्हे दिखलाता हूँ।
पाँच वर्ष के बाद किया क्या,जितना याद बताता हूँ।
खेल किया करते थे कान्हा, उस तट पर ले जाता हूँ।
जमुना जल में एक कुंड था ,उसका हाल सुनाता हूँ।
कालियादह की बात बताता ,सुने श्रीमान…..कहाँ सम्भव?
हे पूर्ण कला के अवतारी तेरा गुणगान….कहाँ सम्भव ? 65
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एक द्वीप का राजन था वह , संग रानियों रमता था।
बना शापवश एक नाग जो ,श्रुति पुराण यह कहता था।
मगर गरुड़ के भय से नाहक, बच बचकर वो रहता था।
कभी कभी तो भारी पीड़ा ,मृत्यु भय की सहता था।
इसी भय के चलते उसने बदला स्थान… कहाँ सम्भव ?
हे पूर्ण कला के अवतारी तेरा गुणगान….कहाँ सम्भव ? 66
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क्रमशः- अगले अंक में
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कलम घिसाई
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