दिव्यमाला अंक 25
गतांक से आगे……
दिव्य कृष्ण लीला ….अंक 25
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गाय चराते जंगल जाते ,संग सखा सब साथ लगे।
मित्र मंडली सारी मिलकर, करे शरारत हाथ लगे।
पड़े किसी के पांव कभी तो,कभी किसी के माथ लगे।
सारे मानो सेवक ही हो,और कान्ह जी नाथ लगे।
मस्त शरारत धींगा मस्ती ,मुरली तान…कहाँ सम्भव?
हे पूर्ण कला के अवतारी तेरा गुण गान… कहाँ सम्भव? 49
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उधर कन्हैया आनंद लेते , जंगल गाय चराने का।
इधर कंस तो उपक्रम करता, अपने प्राण बचाने का।
इसी वजह से वत्सासुर को , भेजा दूत बुलाने का।
वत्सासुर आया तो बोला, किसको है निपटाने का।
वत्सासुर को भेजा देकर , पूरा ज्ञान… कहाँ सम्भव?
हे पूर्ण कला के अवतारी तेरा यशगान..कहाँ सम्भव? 50
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क्रमशः अगले अंक में
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कलम घिसाई
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