दिवानगी…
चाहत हद से गुजर जाये,
तो दिवानगी कहलाती है ,
तुम दिवाने बन जाओ हमारे,
ये बात ना हमे रास आती है…
कदम बढ़ाने की कोशीश में,
अक्सर हम लडखडाते है,
अपनो की खातीर हम,
अपने आपसे दुर जाते है…
बढ ना जाओ उस राहपर आगे,
जीस मोड का अंत यही है,
राह चुनो तुम वैसी,
जो तुम्हे सदा बढ़तीही मिलती है…
प्यार कहाँ कहता है,
मुझे अंजाम दो,
सुरज और धरती को देखो,
कहाँ एक दुसरें सें मिलते है…
मेरी चाहतों का सिलसीला है,
रूह तक मिल जायेगा,
जिद ना करो मिलने की ,
ये खुशबू हवा में ही रहती है…