दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
खुले बंधन तिमिर के हैं,धवल आवास है हिंदी।।
बजे मुरली मधुर कान्हा, श्रवण मधुरम लगे हिंदी।
बहे रसधार रिमझिम सी, प्रिय सरगम लगे हिंदी।।
नीलम शर्मा ✍️
दिवाकर उग गया देखो,नवल आकाश है हिंदी।
खुले बंधन तिमिर के हैं,धवल आवास है हिंदी।।
बजे मुरली मधुर कान्हा, श्रवण मधुरम लगे हिंदी।
बहे रसधार रिमझिम सी, प्रिय सरगम लगे हिंदी।।
नीलम शर्मा ✍️