दिल ही दिल में।
ऐ दोस्त ये एहसास-ए-मोहब्बत भी,
एक दिलकश हसीन नज़राना है,
दिल में रौशन ख़्यालों पर,
दिल ही दिल में इतराना है,
अनकहे अल्फ़ाज़ का मज़ा है अलग,
कि नहीं कुछ कह के बताना है,
रिश्ता हो या एहसास एक दिन,
सब कुछ यहीं रह जाना है।
-अंबर श्रीवास्तव