दिल से हंसे
उम्मीद के जुगनू ,
फिर से झिलमिलाएं।
दिल से हंसे यूं कि;
दुःखों के दूर्वादल झरजाएं।
कल-कल करती नदियों से,
परोपकार का परिचय पाएं।
दिल से हंसे यूं कि;
दुःखों के दूर्वादल झरजाएं।
बंसीधर की बंसी की धुन मे,
ईश्वर के स्नेह का आनंद उठाएं।
दिल से हंसे यूं कि;
दुःखों के दूर्वादल झरजाएं।
हो नया सवेरा,
आकाश की लालिमा बिखरती हो।
विगहों के नव-गायन मे;
जीवन उत्साह से भर जाए।
दिल से हंसे यूं कि;
दुःखों के दूर्वादल झरजाएं।