Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Jun 2022 · 1 min read

दिल से तेरी निगाह जिगर तक उतर गई

मुझ पर सनम नज़र तेरी जादू सा कर गई।
दिल से तेरी निगाह ज़िगर तक उतर गई।।

तुमको पुकारता रहा ये बेक़रार दिल।
यादों में शाम,रात,सहर,दोपहर गयी।।

जिस दिन से तुमने गौर से देखा मुझे सनम।
फिर आइने से पूछ जरा सी सँवर गयी।।

दुनिया में दर व दर मैं भटकती रही मगर।
खुशियाँ मिलीं जो लौट के अपने ही घर गयी।।

मैंने भी तोते और कबूतर उड़ा दिए।
कितने लिखे थे खत नहीं उस तक खबर गयी।।

उम्मीदें सबकी पीठ पे बस्ते में लादकर।
काँधे पे बोझ लेके ही पढ़ने शहर गयी।।

दहशत है ज्योति आज दरिंदो की इस कदर।
बेटी का जन्म सुनते ही माँ मेरी डर गयी।।

✍🏻श्रीमती ज्योति श्रीवास्तव

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 117 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
😊■रोज़गार■😊
😊■रोज़गार■😊
*Author प्रणय प्रभात*
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
एक इश्क में डूबी हुई लड़की कभी भी अपने आशिक दीवाने लड़के को
Rj Anand Prajapati
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा
दिव्य दर्शन है कान्हा तेरा
Neelam Sharma
(18) छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ !
(18) छलों का पाठ्यक्रम इक नया चलाओ !
Kishore Nigam
मैं चाँद को तोड़ कर लाने से रहा,
मैं चाँद को तोड़ कर लाने से रहा,
Vishal babu (vishu)
कभी कभी ज़िंदगी में जैसे आप देखना चाहते आप इंसान को वैसे हीं
कभी कभी ज़िंदगी में जैसे आप देखना चाहते आप इंसान को वैसे हीं
पूर्वार्थ
बिना रुके रहो, चलते रहो,
बिना रुके रहो, चलते रहो,
Kanchan Alok Malu
अनुभव के आधार पर, पहले थी पहचान
अनुभव के आधार पर, पहले थी पहचान
Dr Archana Gupta
धनमद
धनमद
Sanjay ' शून्य'
दोस्त को रोज रोज
दोस्त को रोज रोज "तुम" कहकर पुकारना
ruby kumari
*मिलते जीवन में गुरु, सच्चे तो उद्धार【कुंडलिया】*
*मिलते जीवन में गुरु, सच्चे तो उद्धार【कुंडलिया】*
Ravi Prakash
3149.*पूर्णिका*
3149.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
रिश्ता - दीपक नीलपदम्
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
एक सूखा सा वृक्ष...
एक सूखा सा वृक्ष...
Awadhesh Kumar Singh
सरस्वती वंदना-1
सरस्वती वंदना-1
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
कविता
कविता
sushil sarna
"पड़ाव"
Dr. Kishan tandon kranti
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
*मैंने देखा है * ( 18 of 25 )
Kshma Urmila
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
वफ़ाओं का सिला कोई नहीं
अरशद रसूल बदायूंनी
झील किनारे
झील किनारे
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
मौन हूँ, अनभिज्ञ नही
मौन हूँ, अनभिज्ञ नही
संजय कुमार संजू
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
किसी विशेष व्यक्ति के पिछलगगु बनने से अच्छा है आप खुद विशेष
Vivek Ahuja
धोखा वफा की खाई है हमने
धोखा वफा की खाई है हमने
Ranjeet kumar patre
💐प्रेम कौतुक-294💐
💐प्रेम कौतुक-294💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
किसान और जवान
किसान और जवान
Sandeep Kumar
देती है सबक़ ऐसे
देती है सबक़ ऐसे
Dr fauzia Naseem shad
मुझे तुझसे महब्बत है, मगर मैं कह नहीं सकता
मुझे तुझसे महब्बत है, मगर मैं कह नहीं सकता
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
**** बातें दिल की ****
**** बातें दिल की ****
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
Loading...