दिल में बस जाओ तुम
याद तेरी दिल से क्यों जाती नहीं
तुमको तो मेरी याद आती नहीं
करती है मिलने का वादा हमेशा
जाने तू मिलने क्यों आती नहीं
देखता हूं हर वक्त तेरी ही राह
जबतक तू मिलने आती नहीं
रहता है मेरा रोम रोम हर्षित
जबतक तू मुझसे दूर जाती नहीं
लेकर करवटें रातों में
मैं तुम्हें सोचता रहता हूं
नहीं दिखते जब सामने
मैं तुम्हें खोजता रहता हूं
बात करता हूं जब भी किसी से
ज़िक्र तुम्हारा ही होता है उसमें
रोकता हूं जब कहीं जाने से तुम्हें
फिक्र तुम्हारी ही होती है उसमें
बैठी होगी तू किसी पेड़ के नीचे
मेरे इंतज़ार में शायद आज भी
होगी तुम्हारी भी इच्छा शायद
कहीं मुझसे मिलने की आज भी
हूं बस मैं तेरी आस में आज भी
जाने तू ये बात क्यों समझता नहीं
बहुत समझाता हूं अपने दिल को
वो भी तुम्हारे सिवा कुछ समझता नहीं
अब यादों के भंवर से निकलकर
मेरी ज़िंदगी में आ जाओ तुम
बहुत हो गया अब तो इंतज़ार
मेरे दिल में हमेशा के लिए बस जाओ तुम।