दिल में उम्मीदों का चराग़ लिए
![](https://cdn.sahityapedia.com/images/post/ebf26b2c5aebff957ae11ceea4bb204b_e9106fca393104acbcc0979e37f5d06b_600.jpg)
दिल में उम्मीदों का चराग़ लिए
कोई जल गया किसी के लिए कोई बुझ गया किसी के लिए
कौन रहता है यहाँ इत्मिनान से यारों
कोई जीता है किसी के लिए कोई मरता है किसी के लिए
भरा है समंदर मगर किस काम का
कोई प्यासा रहा एक बूँद के लिए कोई डूब गया सदा के लिए
कमाया खूब दौलत और सुकून न मिला
कोई मिट गया ईमान के लिए तो कोई बिक गया खुदी के लिए
ये दुनिया है ऐसा ही यहाँ होता है
कोई रोता है किसी के लिए तो कोई रोता है किसी के लिए
_ सुलेखा.