दिल बेकरार है
इन बढ़ते हुए फासलो से दिल बड़ा बेकरार है।
आइना देखती हूं अब भी रोज लेकिन होता नहीं पहले सा श्रृंगार है।
उदास रातों में सिर्फ तेरा ही इंतजार है।
जिस्म से नहीं, हमको तो तेरी रूह से प्यार है।
तुम ही बताओ कि क्या तुमको मुझपे एतबार है?
इन बढ़ते हुए फासलो से दिल बड़ा बेकरार है।
आइना देखती हूं अब भी रोज लेकिन होता नहीं पहले सा श्रृंगार है।
उदास रातों में सिर्फ तेरा ही इंतजार है।
जिस्म से नहीं, हमको तो तेरी रूह से प्यार है।
तुम ही बताओ कि क्या तुमको मुझपे एतबार है?