-दिल तो कहता हैं
दिल तो कहता हैं बहूत ओ यारा मगर |
यूँही हटा देता हूं, उन नजरो से नजर ||
इस भरी दुनियाँ मैं बैठे आशिक हैं कहीं,
एक ही अल्फाज से दिल रखते हैं नही,,
ये परछाई मुझको बहूत कुछ ब्याँ कर जाती,
दिलो की रूसवाईयो में मानो बिखर जाती,,
भरी शामें आती हैं लव्जो से गाती पर,,
कहूँ तो भी किस्से कहूँ ए मेरे दिल जिगर,
दिल तो कहता हैं बहूत ओ यारा मगर |
यूँही हटा देता हूँ, उन नजरो से नजर ||
प्यार मैं अक्सर खुशी या आँसू आते हैं,,
इस राह में कहूँ तो कई बिखर जाते हैं,,
ये दुनियाँ कैसी कोई तो सच्चा कर लेते,,
प्यार सा बहाना कर धोखा भी दें देते,
मैं रहता नमी सी अखियाँ लिये मेरे यार,,
दूनिया देखी तो प्यार में बैचा हैं घरबार,,
दिल तो कहता हैं बहूत ओ यारा मगर |
यूंही हटा देता हूँ उन नजरो से नजर ||
लव्जो से सुनना प्यार आँखो का धोखा हैं,
कर क्यूँ लेते हो ये तो आँधी का झौखा हैं,,
न कर यूँ धोखा कोई टूट सा बिखर जायेगा,,
जिन्दगी जीना चाहा जिते जी मर जायेगा,,
कहता हूँ ए यारा ईश्क का न रख बुखार,,
सच्चा करले तु भी,जिसने किया वो बेशुमार,
दिल तो कहता हैं बहूत ओ यारा मगर |
यूँहीहटा देता हूँ, उन नजरो से नजर ||
प्यार सा सुनले प्यार बिना न कुछ होता,,
मैं कलम से रख शब्दो का बीज बौता,,
प्यार झुकता नही हैं झुकाने से ए मेरे यार,
मैं भी करता हूँ, अपनों से बहूत दुलार,,
हैं अपनी ही रुसवाई में बहूत ही बेशुमार,,
मैं कितना ही पलट जाऊं पर होनाहैं बुखार,,
दिल तो कहता हैं बहूत ओ यारा मगर |
यूँही हटा देता हूँ, उन नजरो से नजर ||
रणजीत सिंह “रणदेव” चारण
मुण्डकोशियां
7300174627