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7 Jun 2021 · 1 min read

दिल की सफाई है जरूरी

स्वच्छ मन में आह्लादित होकर ही स्वच्छ तन सम्भव ! बात यह नहीं होनी चाहिए कि हम स्वच्छतार्थ क्या कर सकते हैं, क्योंकि इसतरह के वाक्यांश महज़ औपचारिकताभर, चलताऊ और चोरमन लिए होते हैं । सर्वप्रथम मैंने खुद की स्वच्छता के लिए क्या किया ? क्या हमने तन की स्वच्छता से पहले दिल की स्वच्छता को अमलीजामा पहनाया ? उत्तर मिलेगा– नहीं !

मन को पवित्र रखकर ही खुद की दैहिक स्वच्छता, फिर स्वपारिवारिक सदस्यों की स्वच्छता, संबंधियों की स्वच्छता, घर की स्वच्छता, फिर चहारदीवारी के बाहर की स्वच्छता, समाज की स्वच्छता इत्यादि के बाद ही हम आगे की सुध लें, तो बढ़िया है, क्योंकि सम्पूर्ण राष्ट्र की स्वच्छता सामाजिक – सफलता के बाद ही संभव है । हम शपथ व संकल्प लेकर केवल डींगे नहीं हाँक सकते, बल्कि कार्यान्वयन हेतु अंगदी पाँव की भाँति दृढ़ निश्चयी बनने पड़ेंगे और इसे धर्मरूपेण देखने पड़ेंगे।

Language: Hindi
Tag: लेख
2 Likes · 1 Comment · 370 Views
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