दिल की बातें
मैं अपने दिल की कहती हूं
वो सबके दिल की हो जाती ।
मेरी बातों के दरिया में
सभी गोते लगाते हैं।
ना जाने कौन सा सुख वो
मेरी बातों में, पाते हैं।
मेरे दिल पर जो बीती है
मुझे सबको सुनानी है ।
जाने कौन सी बात मेरे चेहरे पर लिखी है
मैं कुछ बोल ही पाती
वो सब समझ जाते।
क्या वो मेरी बातों को
बिन बोले समझ जाते ।
मेरे दिल पर जो बीती है
किसी पर ओर ना बीते
इससे पहले ही मैं सबको यही बताती हूं।
थोङा ठहरो, जरा समझो मेरी बातों को तुम अपनों
शायद तुम सम्भल जाओ ,मैं डर- डर कर कहती हूं
जो मेरी कहानी है ,कहानी वो ना तुम्हारी हो।
इसीलिए, मैं अपने दिल की कहती हूं कि,
तुम भी समझ जाओ ,ठेङी- मेङी राहों पर
गिरने से सम्भल जाओ,
मैं अपने दिल की कहती हूं
तो सबके दिल की हो जाती ।