दिल की धड़कन सुनो
दिल की धड़कन सुनो
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किसी ने किसी को दिल की धड़कन है माना,
किसी ने किसी को पैरो की अचकन है माना।
जिसकी जैसी होती है भावना अपने मन में,
प्रभु की मूरत को उसने उसे वैसा ही है माना।।
किसी ने पत्थर की मूरत को ईश्वर है माना,
किसी ने ईश्वर की मूरत को पत्थर है माना।
ये केवल अपनी अपनी समझ का फेर है भैया,
जिसने जिसको जैसा समझा वैसा ही है माना।।
किसी ने अपनो को भी बैगाना है माना,
किसी ने बैगानो को भी अपना है माना।
ये अपने अपने संस्कारों की बात है भैया,
किसी ने सगे भाई को भी शत्रु है माना।।
आकर दिल की दहलीज पर धड़कन को सुनो,
सुनकर धड़कन को प्यार का ताना बाना बुनो,
अगर कर नही सकते ये सब कुछ तुम मेरे लिए,
आकर मेरी दिल की धड़कन को कदापि न सुनो।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम