दिल का हाल सुनाऊँ कैसे
दिल का हाल सुनाऊँ कैसे
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दिल का हाल सुनाऊँ कैसे,
अपनों को बहकाऊँ कैसे।
मुख पर पल में आ जाते हैं,
मन के भाव छुपाऊँ कैसे।
जो – जो मेरे साथ हुआ है,
सब को राज बताऊँ कैसे।
घर -आंगन में घुसना चाहें,
सिर पर मैं बैठाऊँ कैसे।
पग-पग पर हैं ठगते जाएं,
लूटने से बचाऊँ कैसे।
अपने हक़ जान नहीं पाते,
भोलों को भड़काऊँ कैसे।
मनसीरत तो भोला पंछी,
प्रेम अपार जताऊँ कैसे।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)