Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
28 Aug 2023 · 1 min read

दिल का भी क्या कसूर है

दिल का भी क्या कसूर है
********************

दिल का भी क्या कसूर है,
तन – मन छाया फितूर है।

मंजिल कितनी भी दूर हो,
हाजिर हर दम हुजूर है।

गम की रोटी कबूल है,
तपता जैसे तनूर है।

बातें बेशक फिजूल सी,
हाथों में ना खजूर है।

बिगड़ा बिखरा नसीब है,
साजन बैठा सुदूर है।

मनसीरत भी न हीर सी,
रांझा भी बेकसूर है।
******************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेडी राओ वाली (कैथल)

354 Views

You may also like these posts

ये ज़िंदगी
ये ज़िंदगी
Shyam Sundar Subramanian
“किताबों से भरी अलमारी”
“किताबों से भरी अलमारी”
Neeraj kumar Soni
डमरू घनाक्षरी
डमरू घनाक्षरी
Annapurna gupta
पहली दस्तक
पहली दस्तक
हिमांशु बडोनी (दयानिधि)
तप सको तो चलो
तप सको तो चलो
Deepali Kalra
तेरा
तेरा
sheema anmol
"We are a generation where alcohol is turned into cold drink
पूर्वार्थ
वर्ण पिरामिड
वर्ण पिरामिड
Rambali Mishra
4881.*पूर्णिका*
4881.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संविधान में हिंदी की स्थिति, राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी का योगदान, तात्विक विश्लेषण
संविधान में हिंदी की स्थिति, राष्ट्र भाषा के रूप में हिंदी का योगदान, तात्विक विश्लेषण
डॉ प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम
जो लोग कर्म पर ध्यान न देकर केवल मुंगेरी लाल के हसीन सपने दे
जो लोग कर्म पर ध्यान न देकर केवल मुंगेरी लाल के हसीन सपने दे
Rj Anand Prajapati
खिड़कियाँ
खिड़कियाँ
Kanchan Advaita
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
सहसा यूं अचानक आंधियां उठती तो हैं अविरत,
Abhishek Soni
अभिमान
अभिमान
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
फिलहाल अंधभक्त धीरे धीरे अपनी संस्कृति ख़ो रहे है
फिलहाल अंधभक्त धीरे धीरे अपनी संस्कृति ख़ो रहे है
शेखर सिंह
कोई बात नहीं, अभी भी है बुरे
कोई बात नहीं, अभी भी है बुरे
gurudeenverma198
पुरानी यादों
पुरानी यादों
Shriyansh Gupta
मैने सूरज की किरणों को कुछ देर के लिये रोका है ।
मैने सूरज की किरणों को कुछ देर के लिये रोका है ।
Ashwini sharma
*
*" कोहरा"*
Shashi kala vyas
मेरी फितरत है बस मुस्कुराने की सदा
मेरी फितरत है बस मुस्कुराने की सदा
VINOD CHAUHAN
केकैयी का पश्चाताप
केकैयी का पश्चाताप
Dr Archana Gupta
"खूबसूरती"
Dr. Kishan tandon kranti
मित्रता के मूल्यों को ना पहचान सके
मित्रता के मूल्यों को ना पहचान सके
DrLakshman Jha Parimal
धूल छा जाए भले ही,
धूल छा जाए भले ही,
*प्रणय*
*गाथा बिहार की*
*गाथा बिहार की*
Mukta Rashmi
ज़िंदगी को
ज़िंदगी को
Sangeeta Beniwal
गज़ल
गज़ल
करन ''केसरा''
खुला पत्र ईश्वर के नाम
खुला पत्र ईश्वर के नाम
Karuna Bhalla
#ताम्रपत्र
#ताम्रपत्र
वेदप्रकाश लाम्बा लाम्बा जी
Dr Arun Kumar shastri
Dr Arun Kumar shastri
DR ARUN KUMAR SHASTRI
Loading...