दिल का परिंदा
मेरे दिल का आज़ाद परिंदा,मोहबत की गली में भटक गया हैं
किसी की मोहबत के हसीन ख्याबो में, कही पर अटक गया हैं
वो तो छोड़ इस दुनिया को,किसी दूसरी ही दुनिया में रम गया है
एक में हूँ जो उसके इंतजार में तड़प रहा हूँ, पता नहीं वो किस का इंतजार कर रहा है
राधे (ऋषभ तोमर)